रामलीला देखने के लिए सड़कों पर उतरा भक्तों का जनसैलाव
गोविंदगंज रामलीला मे अद्भुत रामलीला : बचपन में वर्षों तक देवी सीता बनने वाले पवन पांडे 14 वर्षों से रावण का किरदार निभा रहे हैं। गोविंदगंज रामलीला में उनका हर संवाद, अट्टहास करती हंसी, त्रेतायुग के दशानन का अहसास कराती है। कई बार सोचने पर मजबूर हो जाते ही कि कलयुग का रावण सचमुच मायावी है एक ही जन्म में सीता से लेकर दशानन का जीवन कैसे जी लेता है । तभी तो लोग कहते हैं गोविंदगंज रामलीला केवल मंचन करने वाला मात्र एक नाटक नहीं है बल्कि यह एक अनुष्ठान है।जिसमे धर्म संस्कार आदर प्रेम वात्सल्य प्रतिशोध स्त्री की रक्षा भाई के प्रति अगाध प्रेम मित्रता सेवा ममता और ना जाने कितने भाव देखने मिलते है l
मेघनाद की गर्जना
रावण का अट्टहास,
रामलीला में रावण बने पवन पांडे का अट्टहास, त्रेतायुग के दशानन का अहसास कराती है। वे 14 वर्ष से रावण का किरदार निभा रहे हैं। मेघनाद की गर्जना का दृश्य देखते ही बनता है। अनूप तिवारी 28 साल से ये किरदार निभा रहे हैं। वे अपने ड्रेसअप से लेकर डायलॉग का पूरा ख्याल रखते हैं।
मनीष पाठक 23 साल से अक्षय कुमार का किरदार निभा रहे हैं। उनकी डायलॉग डिलेवरी त्रेतायुग के अहंकार का अहसास कराती है। मनीष अपना किरदार इतनी सजीवता से निभाते हैंकि लोग दाङ हो जाते है साथ ही वे नए पात्रों का मार्गदर्शन करने से लेकर रामलीला की पूरी तैयारी अहम भूमिका निभाते हैं।
सबसे यहां बात यह है कि सभी कलाकार रामलीला से पहले संकल्प लेते हैं…..
रामलीला शुरू होने के पहले सभी कलाकार पूजा के साथ संकल्प लेते हैं और जब तक रामलीला पूरी नहीं हो जाती तब तकइस संकल्प को निभाना होता है। संस्कारधानी की सबसे पुरानी रामलीला 160 साल पुरानी गोविंदगंज रामलीला में और भी कई ऐसे पात्र हैं जो दो दशक से एक ही किरदार में इतने रच-बस गए हैं कि उनकी पहचान ही अब लोग दशरथ, मेघनाद या अक्षय कुमार के नाम से करते है कई बार उन्हे उसी नाम से पुकारा जाता है
रामलीला में जब भगवान राम जनकराजा के महल मे बारात लेकर जाते हैं तो गोविंदगंज रामलीला की बारात को छोटे फुहारा क्षेत्र सेनिकाला जाता है।बाद अद्भुत द्रश्य होता हैं उस समय पूरा गोविंदगंज अयोध्या स नजर आता है और निवाड़गंज जनकपुरी सा दिखाई देता है। हैरत करने वाली बात तो यह है कि गोविंदगंज की रामलीला में आधा शहर लंका बनता है, तो बाकी आधा शहर अयोध्या के रूप में सजाया जाता है। इसी कारण जब तक रामलीला का मंचन होता है लोग त्रेता युग मे खो जाते है भवविभोर होकर पूरा मंचन देख कर ताली बजते है l कभी रावण की गर्जना दर देती है तो कभी हनुमान जी का बल शोर्य और सहह से भर देता हैं l कभी माता सीता का रुदन आँखों मे आँसू भर देता हैं तो कभी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र का जीवन सबके लिए एक आदर्श और उद्धरण प्रस्तुत करता है आभी समय निकाल कर रामलीला देखने अपने परिवार सहित एक बार जरूर जाए l